ख़बर ख़बरों की डेस्क, 08 जुलाई। केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को दोबारा सत्ता स्थापना में सशक्त सहयोगी बने ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय सौंपा गया है। इससे पहले यह जिम्मेदारी हरदीप सिंह पुरी के पास थी। मंत्रालय में उन्हें भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख व अब गाजियाबाद सांसद जनरल वीके सिंह का सहयोग भी मिलेगा। दोनों नेताओं को यह जिम्मेदारी ऐसे वक्त पर मिली है, जब उड्डयन क्षेत्र COVID-19 संक्रमण के क़हर से घरेलू ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय संकट से जूझ रहा है। इस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकटमोचक मानने का भरोसा दिखाया है। इस तरह ज्योतिरादित्य का कद तो बढ़ा है साथ ही उनके सामने चुनौतियां भी बड़ी और विकराल हैं।
इतिहास बताता है कि सिंधिया वंश के राजवंश बनने से पहले उनके पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज के जहाजी बेड़े के सरदार थे। उस समय उनके बेड़े की शक्ति का लोहा महाराष्ट्र से गोवा व गुजरात तक के समुद्र में माना जाता था। इसी शक्ति से संपन्न सिंधिया मराठा शासकों के सरदार बने और पहले उज्जैन व बाद में ग्वालियर को राजधानी बनाकर बड़ा साम्राज्य स्थापित किया।
ज्ञातव्य है कि ज्योतिरादित्य के पिता दिवंगत माधवराव सिंधिया ने भी इस मंत्रालय की कमान संभाली थी। वह 1991 से 1993 तक पीवी नरसिम्हा राव कैबिनेट में नागरिक उड्डय मंत्री थे। उस दौरान उन्होने कुशल प्रशासन के साथ ही दायित्व की नैतिकता का भी उदाहरण प्रस्तुत किया था। उन्होंने रूसी विमान दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए त्यागपत्र दे दिया था, हालांकि दुर्घटना में कोई जनहानि नहीं हुई थी।
सिंधिया के सामने पिता का उदाहरण और उड्डयन के आर्थिक संक्रमण की चुनौती
पिता के संभाले हुए पद को सालों बाद संभालने जा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने ये चुनौतियां होंगी जिनसे पार पाना उन्हें क्षमतावान सिद्ध करने लिए जरूरी होंगीं। सिंधिया को भारतीय विमानन की उड़ान को संयोजित व संतुलित करने के लिए इन चुनौतियों का सामना करने की सही रणनीति बनानी होगी।
मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था का संक्रमण
भारतीय में 25 मई 2020 को उड़ानें दोबारा शुरू होने के बाद उड्डयन उद्योग व व्यापार कैपेसिटी कैप के साथ-साथ हवाई किराए के लिए एक फ्लोर और सीलिंग प्राइस के तहत चल रहा है। सरकार को नियमन की अनुमति होने के बादजूद COVID-19 के बाद अब कोई दूसरा उद्योग इस तरह की बंधनों में नहीं है। व्यापार विशेषज्ञ व अर्थशास्त्री मानते है कि इस तरह की स्थितियां भविष्य में उड्डयन क्षेत्र के लिए हानिकारक हो सकती हैं।
एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया
संकट ग्रस्त ‘एयर-इंडिया’ के विनिवेशीकरण की प्रक्रिया में अभी तक यह साफ नहीं हो सका है बोली लगाने वाले कितने पक्ष निर्णायक दौर में हैं। बार-बार कहा जा रहा है कि प्रक्रिया जारी है, और एयर-इंडिया किसकी झोली में जाएगा इसकी घोषणा जल्द ही की जा सकती है। एक वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार, तब तक इस पर खास ध्यान बनाए रखना आवश्यक है, जब तक कि एयर इंडिया को लेने वाले का नाम सुनिश्चित न हो जाए।
प्रधानमंत्री की प्रस्तावित RCS-UDAN योजना पर असंतोषजनक प्रगति
प्रधानमंत्री की योजना RCS-UDAN को मनोवांछित सफलता नहीं मिल सकी थी। एयर डेक्कन, एयर ओडिशा जैसी उड़ान सेवाओं का दिवालिया निकल गया, और स्पाइसजेट ने शुरू किए जाने के बाद कई वायुमार्गों पर उड़ानें बंद कर दी हैं। केंद्र सरकार ने देश में 100 नए हवाईअड्डों के निर्णाण की घोषणा की थी, उस पर भी प्रगति संतोषप्रद नहीं हुई।
हवाई अड्डों का निजीकरण की धीमी प्रक्रिया और जन समर्थन की कमी
हवाई अड्डों के उन्नयन और आधुनिकीकरण के लिए PPP मॉडल की योजना की मुश्किलें कोरोना महामारी के कारण कम हुए हवाई यातायात ने बढ़ा दी हैं। परिस्थितियोंवश इस प्रक्रिया में सम्मिलित होने के लिए ज्यादा लोगों को शामिल करना मुश्किल काम होगा।
हवाई अड्डों की अधोसंरचनाओं का विस्तार
कोरोना महामारी से पहले देश में हवाई-अड्डों की अधोसंरचना का उपयोग बड़े स्तर पर हो रहा था। मुंबई के हवाई-अड्डों की क्षमता कम पड़ गई और ऐसी ही स्थितियां देश के शीर्ष 15 हवाई-अड्डों पर हैं। आर्थिक एजेंसियों के अनुसार, सैनिक हवाई अड्डों पर नागरिक सेवाओं को बढ़ाने के लिए जगह की कमी होने के कारण पुणे, गोवा, विजाग, पोर्ट ब्लेयर और जम्मू समेत कई जगहों पर उड़ानों के संचालन में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती।
एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) पर GST
एविएशन टर्बाइन फ्यूल को GST के दायरे में लाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। जीएसटी के लागू होने से पहले से भी देश में टैक्स की समान दर की मांग की जा रही थी। ऐसा कुछ हुआ नहीं, अब जैसे-जैसे ईंधन की कीमतें ऊपर बढ़ रही हैं, इसका असर एयरलाइंस पर अब पहले से भी ज्यादा दिखने लगा है।
हवाई दुर्घटनाओं से सुरक्षा
लंबे समय के बाद बीते साल कालीकट में एक दुर्घटना हुई थी। ICAO और अमेरिकी नियामक FAA इस घटना पर ऑडिट रिपोर्ट तैयार कर रही हैं। इसमें कहा जा रहा है कि कोई भी विपरीत बात सामने आने पर भारत की एयरलाइंस अमेरिका तक नया हवाई मार्ग शुरू नहीं कर पाएंगी।
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