ग्वालियर, 23 जून। पुलिस की छवि सुधारने विभाग के वरिष्ठ अधिकारी लाख कोशिशें करे, लेकिन मैदानी अमले की करतूतें फिर वही सूरत सामने कर देती हैं, जिससे आम नागरिक दहशत में रहे। ग्वालियर के मुरार पुलिस थाना क्षेत्र के सीपी कॉलोनी इलाके में एक दलित किशोरी ने खुद को सामूहिक वलात्कार की शिकार बताते हुए शिकायत की, लेकिन पुलिस ने पीड़िता को ही अपनी थर्ड डिग्री का शिकार बना डाला। इस बार पुलिसगिरी अफसरों पर भारी पड़ती नजर आ रही है। मामले को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं। उच्च न्यायालय ने दिखाई सख्ती, अफ़सर नपे, पीड़िता को इंसाफ की बढ़ी उम्मीद….
ग्वालियर खण्डपीठ के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने बुधवार को मामले को CBI के सुपुर्द करने समेत आरोपी अफसरों के विरुद्ध FIR , विभागीय जांच औऱ 50 हजार रुपए का हर्जाना वसूलने का निर्देश जारी किया है। उच्च न्यायलय याचिकाकर्ता नाबालिग और परिजनों के साथ मारपीट करने और आरोपियों की मदद करने को पुलिस का गंभीर आपराधिक कृत्य मानते हुए मामला सीबीआई के हवाले करने के निर्देश जारी किए हैं। उच्च न्यायालय के आदेश में 31 जनवरी 2021 को उप नगर मुरार इलाके में हुई इस घटना में मारपीट के दोषी टीआई अजय पवार और सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय सहित अन्य पुलिस कर्मियों के विरुद्ध FIR के आदेश, मामले से संबंधित पांच लोगों की डिपार्टमेंट इंक्वायरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमन गुर्जर, सीएसपी रामनरेश पचौरी, टीआई प्रीति भार्गव, टीआई अजय पवार, एसआई कीर्ति उपाध्याय से 50 रुपए का हर्जाना वसूल करने के निर्देश जारी किए हैं। उच्च न्यायालय नें एडिशनल एसपी सुमन गुर्जर, सीएससी रामनरेश पचौरी, टीआई अजय पवार, टीआई प्रीति भार्गव और एसआई कीर्ति उपाध्याय को ग्वालियर-चंबल रेंज से बाहर स्थानांतरति किए जाने का भी निर्देश जारी किया है। उच्च न्यायालय ने पीड़िता को हर्जाने की रकम देने के आदेश के अलावा मुआवजे के लिए अलग से आवेदन का अधिकार भी दिया है। गौरतलब है कि बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा ने निशुल्क रूप पीड़िता की पैरवी की है।
रेप का मामला दर्ज नहीं कराने हुई थी पीड़िता और परिजन की पिटाई
किशोरी के बयान दर्ज कराने वाले शासकीय अधिवक्ता ओपी शर्मा के अनुसार बीते रविवार 31 जनवरी 2021 की रात को 8 बजे सीपी कॉलोनी में रहने वाले गंगा सिंह भदौरिया के पोते आदित्य भदौरिया और उसके दोस्त ने लड़की को घर में अकेला पाकर उसके साथ बलात्कार किया था। बताया गया है कि किशोरी आरोपियों के घर में घरेलू काम करने आती थी। शर्मा ने बताया कि पोते की करतूत की जानकारी गंगा सिंह को लगी तो उन्होंने किशोरी पर शिकायत नहीं करने का दबाव बनाया, लेकिन वह परिजन के साथ मुरार पुलिस थाने पहुंच गई थी। पुलिस थाने के स्टाफ ने मामला जर्ज करने में आनाकानी की थी, लेकिन एडिशनल एसपी सुमन गुर्जर के हस्तक्षेप के बाद किसी तरह बलात्कार का मामला दर्ज किया गया। शासकीय अधिवक्ता ओपी शर्मा ने आरोप लगाया था कि किशोरी और उसके परिजन की पुलिस थाने के अंदर मारपीट की गई है, क्योंकि वह मामला दर्ज कराने पर अड़े थे। किशोरी ने संवाद माध्यमों को शरीर पर चोटों के निशान भी दिखाए थे, फिर भी मुरार पुलिस किशोरी के बयानों को झूठा बताती रही थी।
पीड़िता ने सुनाई थी आपबीती, आरोपी के दादा ने कहा था साजिश
पीड़िता ने खुद को 15 साल बताते हुए आरोप लगाया था कि सीपी कॉलोनी निवासी गंगा सिंह भदौरिया के मकान में झाडू पोंछा के काम के लिए 20 दिसंबर 2020 को रखा गया था। उसे रहने के लिए भी घर के ग्राउंड फ्लोर पर जगह दी गई थी। किशोरी के अनुसार–31 जनवरी की रात आठ बजे गंगा सिंह भदौरिया के पोते आदित्य भदौरिया और उसके एक दोस्त ने कमरे का दरवाजा खुलवाया, दोनों ने मेरे साथ बलात्कार किया, और धमकाकर भाग गए थे। किशोरी ने बताया था कि वह डरी हुई थी। पुलिस से पहले उसने सीएम हेल्प लाइन पर कॉल किया। वहां से मिले निर्देश पर मुरार पुलिस पीड़िता को थाने ले आई। बहुत आनाकानी के बाद पुलिस ने आदित्य के दोस्त के विरुद्ध रेप का मामला दर्ज किया था।
आरोपियों ने बचाव में मामले को पुरानी रंजिश के बदले की साजिश बताया था
आरोपी पक्ष ने अपना बचाव करते हुए बताया था कि आदित्य सिंह भदौरिया पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली लड़की झूठ बोल रही है। दरअसल 28 सितंबर 2017 को गंगा सिंह बदौरिया के बेटे संजय भदौरिया की हत्या सोनू परमार, संदीप शर्मा और उनके साथियों ने कर दी थी। संजय का बेटा आदित्य वारदात का मुख्य गवाह है। उस वक्त सभी आरोपी कोविड-19 पैरोल पर जेल से बाहर निकले थे। इन्होंने साजिश के तहत इस लड़की को 20 दिसंबर को काम पर रखवाया। गंगा सिंह के मुताबकि घर में लगे CCTV कैमरे की फुटेज से साफ हुआ है कि राहुल शर्मा नाम का एक लड़का 31 जनवरी 2021 की रात पौने आठ बजे खाने का पैकेट लेकर आता दिख रहा है। उसके आते ही रात 8:22 बजे उसने लड़की के साथ सीएम हेल्प लाइन पर कॉल किया था।
पुलिस ने उम्र का विरोधाभास भी लाने की भी की थी कोशिश
मुरार थाना टीआई अजय पवार का कहना था कि घटना के बाद पुलिस थाने पहुंची पीड़िता ने खुद को नाबालिग बताते हुए अपनी आयु 15 साल बताई थी। जिस पर पुलिस ने पॉक्सो एक्ट की भी धारा लगाई, लेकिन आधार कार्ड पर उम्र 13 साल है। जब बिजौली के विजयगढ़ से उसके पिता को बुलाया गया और उसने जो मार्कशीट दी है। उसमें लड़की की उम्र 18 साल 8 महीने है।
देखिये वारदात के वक्त पुलिस का विरोध करती पीड़िता का VIDEO….
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