बाल-बाल बचे कमलनाथ, ओवरलोड लिफ्ट में कांग्रेस अध्यक्ष के साथ थे 20 पार्टी नेता
मध्यप्रदेश में नहीं है बना ही नहीं है लिफ्ट अधिनियम, देश के 12 राज्यों में है लागू
इंदौर, 22 फरवरी। संभागीय कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल होने के लिए रविवार को इंदौर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्याक्ष कमलनाथ के साथ एलआईजी चौराहा स्थित डीएनएस अस्पताल की लिफ्ट में बड़ा हादसा हो गया। टीम कमलनाथ यहां भर्ती पूर्व मंत्री रामेश्वर पटेल को देखने के लिए पहुंचे थे। नाथ अन्य नेताओं व सुरक्षा अधिकारी के साथ जैसे ही लिफ्ट में चढ़े और ऊपर जाने के लिए बटन दबाय, लिफ्ट धमाके की आवाज के साथ ऊपर जाने की बजाय नीचे तलघर में जा गिरी। इंदौर के जिलाधीश मनीष सिंह ने मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। ऊपर जाने बटन दबाया, कांग्रेंस नेताओं को ले नीचे जा गिरी लिफ्ट….
लिफ्ट के बेसमेंट में बनी डक्ट में गिरते ही नेता एक-दूसरे के ऊपर गिर पड़े। नाथ का सिर लिफ्ट की छत से टकरा गया। वरिष्ठ नेता अर्चना जायसवाल भी इसमें घायल हो गईं। उनके पैर में चोट आई। सभी नेताओं पर धूल का गुबार जमा हो गया। करीब 15 मिनट तक बेसमेंट में फंसे रहे, लेकिन लॉक नहीं खुला। बमुश्किल एक-एक कर सभी को बाहर निकाला जा सका। लिफ्ट में नाथ के साथ सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, विनय बाकलीवाल, राधेश्याम पटेल,एक सुरक्षा अधिकारी, एक पुलिस अधिकारी और उनके पीएसओ समेत 13 लोग सवार थे, कुछ सूत्र लिफ्ट में करबी 20 व्यक्तियों के होने की बात भी कर रहे हैं। हादसे की जांच एडीएम मुख्यालय हिमांशु चंद्रा को सौंपी गई है।
लिफ्ट में सवार नेताओं की आपबीती
सब लोग लिफ्ट में खड़े थे, जैसे ही गेट लगाकर बटन दबाया, लिफ्ट धड़ाम से नीचे जा गिरी। लगा जैसे कोई बम धमाका हुआ हो, अर्चना जायसवाल को पैर में चोट लगी, जबकि पूर्व मुख्यंमंत्री कमलनाथ का सिर लिफ्ट की छत से टकरा गया, उन्हें भी हल्की सी चोट लगी। लिफ्ट के गिरते ही अफरा-तफरी मच गई। जैसे-तैसे सब संभले तो धूल का गुबार भर गया था, कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। इंदौर के शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने बताया कि वह और कमलनाथजी व उनके स्टाफ समेत दूसरे साथी लिफ्ट में चढ़े। गेट लगाकर जैसे ही तीसरी मंजिल के लिए बटन दबाया, एक सेकंड भी पूरा नहीं हुआ होगा कि लिफ्ट धड़ाम से बेसमेंट में जा गिरी। किसी को संभलने का तो दूर, सोचने का भी मौका नहीं मिला। एक मिनट से भी ज्यादा वक्त तो उठने और हालात को समझने में लगा। एक बार तो लगा कि मानो जान ही चली जाएगी। पूरी लिफ्ट में धूल का गुबार था। कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। सभी ने कमलनाथजी और एक दूसरे को संभाला। स्थिति 3-4 मिनट बाद सामान्य हुई तब किसी ने आवाज़ लगाकर बाहर मौजूद लोगों को भीतर के हालात बताए।
मध्यप्रदेश में 24 घंटों में 3 जगह लिफ्ट गिरीं, लिफ्ट एक्ट ही नहीं कार्रवाई कैसे हो?
मध्यप्रदेश में बीते 24 घंटों के दौरान भोपाल और इंदौर समेत तीन जगह लिफ्ट गिरने के हादसे हुए। इंदौर में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हादसे में बाल-बाल बचे, तो भोपाल में रविवार देर शाम लिफ्ट गिरने से 2 बच्चों समेत 7 लोग घायल हो गए। इनमें से 4 को गंभीर चोट आने के बाद भर्ती तक करना पड़ा। इंदौर में कमलनाथ जिस लिफ्ट में हादसे का शिकार हुए उसमें सुरक्षा के इंतजाम तो दूर इमरजेंसी नंबर तक नहीं था। मध्यप्रदेश में लिफ्ट गिरने के लगातार हादसे हो रहे हैं, लेकिन किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती, क्योंकि दूसरे प्रदेशों की तरह यहां लिफ्ट एक्ट ही नहीं है। ब्रिटिशकालीन मुंबई लिफ्ट एक्ट1939 का इस्तेमाल मध्यप्रदेश में लिफ्ट संबंधी औपचारिकताओं में किया जा रहा।
देश के 12 राज्यों में लागू है लिफ्ट एक्ट
देश के ओडिशा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मुंबई, असम, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु व कर्नाटक के बाद झारखंड में भी लिफ्ट अधिनियाम वर्ष 2017 में लागू कर दिया गया। इस अधिनियम के तहत लिफ्ट में किसी भी दुर्घटना की वजह से मौत या क्षति होने पर मालिक को 24 घंटों के अंदर दुर्घटना का ब्यौरा संबंधित पदाधिकारी को देना होता है। दुर्घटना के लिए लिफ्ट लगाने या रख-रखाव करने वाली कंपनी जिम्मेदार होती है। एक्ट का उल्लंघन करने पर तीन माह की सजा और 50 हजार रुपए के जुर्माना तक तय है। लिफ्ट और एस्कलेटर आदि की सुरक्षा को लेकर अलग से स्पष्ट नियम बन जाने से रख-रखाव और अधिकारियों तक की पूरी जिम्मेदारी तय होगी। लिफ्ट में खामी मिलने की शिकायत की जा सकेगी। जिम्मेदारी तय होने से पीड़ित को भी क्षतिपूर्ति पाने का हक मिलेगा।
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