ग्वालियर, 09 फरवरी। ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में परीक्षा संचालित करने वाली कमेटी के प्रभारी (केंद्राध्यक्ष) ने कुलपति को पत्र लिखकर खुद को इस प्रभार से मुक्त करने का अनुरोध किया है। पत्र में उन्होंने पीड़ा जताई है कि वरिष्ठ अधिकारियों के असहयोग और कार्य से जुड़े कर्मचारियों का पारिश्रमिक लंबित होने से वह परीक्षा जैसा महत्वपूर्ण कार्य संपादित कराने में असहज महसूस कर रहे हैं। इसी विवशता में वह दायित्व से मुक्त होना चाहते हैं। इस पत्र के संज्ञान में आते ही विश्वविद्यालय में खलबली मच गई है। दो साल से कर्मचारियों का पारिश्रमिक नहीं, परीक्षा व्यय का भुगतान भी नहीं….
जीवाजी विश्वविद्यालय में 2015 से एक साथ सभी महाविद्यालयों की परीक्षा जीवाजी के परीक्षा भवन में आयोजित की जाती है। एक साथ 2000 परीक्षार्थियों की क्षमता वाले विभाग के सफल संचालन के लिए कर्मचारियों का बेहद अभाव है, इसके बावजूद जो कर्मचारी इसके लिए कार्य जुटे हुए हैं, उनको करीब दो साल से पारिश्रमिक नहीं मिल सका है। इनका असंतोष आये दिन मुखरित होता रहता है। इतने महत्वपूर्ण परीक्षा भवन के केंद्राध्यक्ष को अभी तक संविदा और गेस्ट फैकल्टी के लोगों की सूची भी नहीं सौंपी गई है। सूची के अभाव में परीक्षा कार्य संपादित कराने के लिए उनकी ड्यूटी को निर्धारित करना संभव नहीं हो पा रहा है।
परीक्षा भवन का 10 लाख रुपया बकाया
विश्वविद्यालय प्रबंधन पर परीक्षा कार्य कराने वाली कमेटी का करीब 10 लाख रुपए का भुगतान बकाया है। इतनी महत्वपूर्ण कार्य की लगातार उपेक्ष से कमेटी का असंतोष बढ़ता जा रहा है। परीक्षा भवन के केंद्राध्यक्ष डॉ.नवनीत गरुड़ ने कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला को पत्र लिख इस दायित्व से मुक्त करने का अनुरोध किया है। जीवाजी विश्वविद्यालय प्रशासन ने जानकारी दी है कि कुलपति डॉ. संगीता शुक्ला इस समय भोपाल में है, उनके लौटने के बाद परीक्षा समिति के पदाधिकारियों साथ बैठक लेकर उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
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