झुकी नहीं ये महारानी तो इमरजेंसी में इंदिरा गांधी सरकार ने भेज दिया तिहाड़ जेल, कैदियों ने बना दिया बड़की माई

ग्वालियर।सिंधिया रियासत की महारानी और तिहाड़ जेल, अजीब सा लगता है, मगर सच है। ग्वालियर की तत्कालीन महारानी भी तिहाड़ जेल में कैदी नंबर-2265 बन कर रही थीं। उनके पास की सेल में जयपुर की महारानी गायत्री देवी भी रहीं थीं। राजमता पर इंदिरा गांधी ने कांग्रेस में आने के लिए विशेष दबाव बनाया, पहले उन्हें नज़रबंद करा कर जयविलास पैलेस पर छापा डलवाया। दबाव में नहीं आईं तो तिहाड़ जेल में  साधारण कैदी की हैसियत बंद करा दिया, लेकिन सारे कष्ट झेलने के बाद भी राजमाता विजयाराजे सिंधिया तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जिद के आगे झुका नहीं।

25 दिसंबर 2001 को विजयाराजे सिंधिया का देहांत हुआ था। उनकी पुण्यतिथि पर khabarkhabaronki.com प्रस्तुत कर रहा है इतिहास में दर्ज इस घटनाक्रम का पुनर्स्मरण….

– राजमाता के नाम से राजनीति में जानी गई विजयाराजे इमरजेंसी में तिहाड़ जेल में कैदी नंबर-2265 के तौर पर बंदी रही थीं।
– इसी जेल में उनके पास वाली कोठरी में 1975 में मीसा के तहत ही बंदी बनाई गईं जयपुर की महारानी गायत्री देवी भी कैद थीं।
– देश की दो बड़ी रियासतों की महारानियों को जेल में एक ही टॉइलेट शेयर करना पड़ता था।
– 21 तोपों की सलामी की हकदार रही दोनों महिलाओं को अपनी कोठरी में बगैर किसी सहयक के अपने सारे काम खुद ही करने होते थे।


झूठी भविष्यवाणियों से देती थी गायत्री देवी को तसल्ली
– तिहाड़ जेल में जाते वक्त महारानी गायत्री देवी बीमार हो गई थीं। उनकी कोई सर्जरी डॉक्टर्स ने ड्यू बताई थी।
– उनके बेटे युवराज भवानी सिंह राजमता गायत्री देवी की रिहाई के लिए मेडिकल आधार पर कोशिश कर रहे थे।

– साधारण जीवन से अच्छी तरह वाकिफ विजयाराजे ने खुद को जेल की जिंदगी में ढाल लिया था, लेकिन गायत्री देवी के लिए बीमारी की हालत में जेल का कठोर जीवन और भी दुश्वार हो गया था।
– ऐसे में जब भी वो हताश होतीं, विजयाराजे खुद को ज्योतिष का जानकार होने का दावा करते हुए यूं ही उनकी रिहाई की संभवित तारीख बता कर तसल्ली देती थीं।


महिला कैदियों की भी राजमाता बन गई विजयाराजे
– तिहाड़ की महिला कैदियों के कष्ट देख कर विजयाराजे ने उनके व बच्चों के लिए जेल के डॉक्टर से पूछ कर दवाइयों और कपड़ों की लिस्ट अपनी बेटियों को भिजवाई।
– महिला कैदियों को दवाइयां व गर्म कपड़े मिले तो सब राजमाता विजयाराजे के और करीब आगईं।
– महिला कैदी भी उन्हें राजमाता और बड़की माई कह कर उनका खास खयाल रखने लगीं।
– हत्या की एक आरोपी ने तो जेल प्रशासन को आवेदन सौंपा कि उसे राजमाता की सेवा में उनकी कोठरी में तैनात कर दिया जाए।


जेल से गईं तो महिला कैदियों ने फूल बरसाए
– विजयाराजे जेल में बीमार हो गईं तो डॉक्टरों ने इलाज पर उन्हें पैरोल पर बाहर जाने की सिफारिश की।
-जेल से जब राजमाता पैरोल पर बाहर जाने लगीं तो अंतिम दिन इन महिला कैदियों ने पहले उनके मनोरंजन के लिए भजन गाए, रवाना होते वक्त आंखों में आंसू भरे उन्होंने राजमाता के ऊपर फूल बरसाकर उन्हें विदाई दी।

gudakesh.tomar@gmail.com

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