नई दिल्ली, 12 जनवरी। उच्चतम न्यायालय ने तीन नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं मंगलवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई की। उच्चतम न्यायालय नें तीनों कानून को अमल में लाने पर रोक लगा दी है। साथ ही इस मुद्दे पर बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी भी बनाई है। फैसला मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली बेंच ने सुनाया।
हालांकि किसान नेता इसके बावजूद वापसी को तैयार नहीं हैं। भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैट ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के प्रति जो सकारात्मक रुख दिखाया है, उसके लिए हम आभार व्यक्त करते है, लेकिन किसानों की मांग कानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है। जब तक यह मांग पूरी नही होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर कल संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा।
बहस के दौरान पिटीशनर वकील एमएल शर्मा ने कहा- सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई जाने वाली कमेटी के सामने पेश होने से किसानों ने इनकार कर दिया है। किसानों का कहना है कि कई लोग चर्चा के लिए आ रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री सामने नहीं आ रहे। इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा- प्रधानमंत्री को नहीं बोल सकते, इस मामले में वे पार्टी नहीं हैं।
उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर गठित कमेटी में हैं ये लोग
1. भूपेंद्र सिंह मान, भारतीय किसान यूनियन
2. डॉ.प्रमोद कुमार जोशी, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड
3. अशोक गुलाटी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट
4. अनिल घनवत, शेतकरी संघटना, महाराष्ट्र
क्या-क्या कहा सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश, सरकारी वकील और किसानों के वकील ने
वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसानों का कहना है कि वह कोर्ट की ओर से गठित किसी कमेटी के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे
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